ISHTA PRARTHANA | इष्ट-प्रार्थना
भावना दिन-रात मेरी, सब सुखी संसार हो |
सत्य-संयम-शील का, व्यवहार हर घर-बार हो ||
धर्म का परचार हो, अरु देश का उद्धार हो |
और ये उजड़ा हुआ, भारत चमन गुलजार हो ||१||
ज्ञान के अभ्यास से, जीवों का पूर्ण विकास हो |
धर्म के परचार से, हिंसा का जग से ह्रास हो ||२||
शांति अरु आनंद का, हर एक घर में वास हो |
वीर-वाणी पर सभी, संसार का विश्वास हो ||३||
रोग अरु भय-शोक होवें, दूर सब परमात्मा |
कर सके कल्याण-ज्योति, सब जगत् की आत्मा ||४||
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