श्री कुन्थुनाथ प्रभु की आरती | Shree Kuntunath Prabhu ki aarti

श्री कुन्थुनाथ प्रभु की हम आरती करते हैं
आरती करके जनम जनम के पाप विनशते हैं ।
सांसारिक सुख के संग आत्मिक सुख भी मिलते हैं (२)

श्री कुन्थुनाथ प्रभु की हम आरती करते हैं ।
जब गर्भ में प्रभु तुम आये
पितु सुरसेन श्री कांता माँ हर्षाये
सुर वंदन करने आये
श्रावण वदि दशमी, गर्भ कल्याण मनाये
हस्तिनापुरी उस पावन धरती को नमते हैं
आरती करके जनम जनम के पाप विनशते हैं ।
सांसारिक सुख के संग आत्मिक सुख भी मिलते हैं (२)

वैसाख सुदी एकम में, जन्मे जब सुर गृह में बाजे बजते थे
सुर शैल शिखर ले जाकर
सब इन्द्र सपारी करे नवहन जिन शिशु पर
जन्मकल्यानक से पावन उस गिरी को जजते हैं
आरती करके जनम जनम के पाप विनशते हैं ।
सांसारिक सुख के संग आत्मिक सुख भी मिलते है। (२) 

Image source:
'Jain statues in Anwa, Rajasthan 31' by Capankajsmilyo, image compressed, is licensed under CC BY-SA 4.0

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