विमलनाथ जी आरती | Shree Vimalnathji ki Aarti
आरती करो रे, आरती करो रे ।
आरती करो रे, आरती करो रे ॥
तेरहवे जिनवर विमलनाथ की
आरती करो रे, आरती करो रे ।
कृतवर्मा पितु राजदुलारे, जयश्यामा के प्यारे ।
कम्पिल पूरी में जनम लिया हैं, सुर नर वन्दे सारें ॥ (२)
आरती करो रे ...
निर्मल त्रय ज्ञान सहित, स्वामी की आरती करो रे
आरती करो रे ...
शुभ ज्येष्ठ वदि दशमी प्रभु की गर्भागम तिथि मानी जाती
है जन्म और दीक्षा कल्याणक, माघ चतुर्थी सुदी आती । (२)
आरती करो रे ...
मनः पर्याय ज्ञानी तीर्थंकर की, आरती करो रे ।
आरती करो रे ...
सित माघ छट को ज्ञान हुआ, धनपति शुभ समवशरण रचता ।
दिव्य ध्वनि प्रभु की खिरी और, भव्यो का नाम कुमुद खिलता । (२)
आरती करो रे ...
केवल ज्ञानी अर्हन्त प्रभु की
आरती करो रे ...
आषाढ़ वदि दशमी तिथि थी, पंचम गति प्रभुवर ने पायी ।
शुभ लोक शिखर पर राजे जा, परमातम ज्योति प्रगटाई ।। (२)
आरती करो रे ...
उन सिद्धप्रिया के अधिनायक की
आरती करो रे ...
हे विमल प्रभु तव चरणों में बस एक आशा हे यह मेरी ।
मन विमल मति हो जावे प्रभु, मिल जाए मुझे भी सिद्ध गति ॥ (२)
आरती करो रे ...
चन्दन स्वातमसुख पाने हेतु
आरती करो रे ...
Image source:
'Vimalnath' by Jains, Image compressed, is licensed under CC BY-SA 4.0
एक टिप्पणी भेजें