सूर्य देव स्तुति | Surya deva stuti
दीन-दयालु देवा।
कर मुनि,मनुज,सुरासुर सेवा ॥ १ ॥
कर मुनि,मनुज,सुरासुर सेवा ॥ १ ॥
हिम-तम-करि केहरि करमाली।
दहन दोष-दुख-दुरित-रुजाली ॥ २ ॥
दहन दोष-दुख-दुरित-रुजाली ॥ २ ॥
कोक-कोकनद-लोक-प्रकासी।
तेज-प्रताप-रूप-रस-रासी ॥ ३ ॥
तेज-प्रताप-रूप-रस-रासी ॥ ३ ॥
सारथि-पंगु,दिब्य रथ-गामी।
हरि-संकर-बिधि-मूरति स्वामी ॥ ४ ॥
हरि-संकर-बिधि-मूरति स्वामी ॥ ४ ॥
बेद पुरान प्रगट जस जागै।
तुलसी राम-भगति बर माँगै ॥ ५ ॥
तुलसी राम-भगति बर माँगै ॥ ५ ॥
यह स्तुति के रचयता श्री गोस्वामी तुलसीदासजी है।
एक टिप्पणी भेजें