महामृत्युंजय मंत्र | Mahamrityunjay Mantra

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||


महामृत्युंजय मंत्र भगवान श्री शिवजी का मंत्र है। इस मंत्र को रूद्र मंत्र एवम त्र्यम्बक मंत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस मंत्र का हररोज़ १०८ बार जाप करने से सेहत और स्वास्थ्य अच्छा रहता है, विपदा या आपत्ति नहीं आती है और असामयिक मृत्यु से भी रक्षा करता है।

महामृत्युंजय मंत्र का मतलब | Meaning of Mahamrityunjay Mantra:

ॐ त्र्यम्बकं - त्रिनेत्रों वाले या तीन आँखों वाले यजामहे - हम जिन्हे पूजते है सुगन्धिं - जिनमे से अच्छी सुगंध आती है पुष्टिवर्धनम् - ज्ञान, संपत्ति एवम पोषण देने वाले उर्वारुकमिव - ककड़ी जैसा एक फल बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय - मृत्युरुपी बंधन से हमें मुक्त कीजिये या मोक्ष दीजिये माऽमृतात् - जो अमर है

मंत्र जाप | Mantra jap:

  • ११०० मंत्र जाप - भय से छुटकारा पाने के लिए
  • ११००० मंत्र जाप - रोग मुक्ति के लिए
  • १२५००० मंत्र जाप - पुत्र प्राप्ति, उन्नति और असामयिक मृत्यु से बचने के लिए

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