श्री शिवजी आरती | Shree Shivji Aarti
श्री शिवजी की आरती के ४ वर्णन उपलब्ध है। मैंने सभी वर्णनों को आपके समक्ष प्रस्तुत क्या है।
श्री शिवजी की आरती (वर्णन १): सत्य, सनातन, सुंदर ... | Shree Shivji ki Aarti (Version 1): Satya Sanatan Sundar ...
सत्य, सनातन, सुंदर,
शिव! सबके स्वामी ।
अविकारी, अविनाशी,
अज, अंतर्यामी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
आदि अनंत, अनामय,
अकल, कलाधारी ।
अमल, अरूप, अगोचर,
अविचल अघहारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर,
तुम त्रिमूर्तिधारी ।
कर्ता, भर्ता, धर्ता,
तुम ही संहारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
रक्षक, भक्षक, प्रेरक,
तुम औढरदानी ।
साक्षी, परम अकर्ता,
कर्ता अभिमानी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
मणिमय भवन निवासी,
अति भोगी, रागी ।
सदा मसानबिहारी,
योगी वैरागी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
छाल, कपाल, गरल,
गल, मुंडमाल व्याली ।
चिताभस्म तन, त्रिनयन,
अयन महाकाली ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
प्रेत-पिशाच, सुसेवित
पीत जटाधारी ।
विवसन, विकट रूपधर,
रुद्र प्रलयकारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
शुभ्र, सौम्य, सुरसरिधर,
शशिधर, सुखकारी ।
अतिकमनीय, शान्तिकर
शिव मुनि मन हारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
निर्गुण, सगुण, निरंजन,
जगमय नित्य प्रभो ।
कालरूप केवल, हर!
कालातीत विभो ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
सत-चित-आनँद, रसमय,
करुणामय, धाता ।
प्रेम-सुधा-निधि, प्रियतम,
अखिल विश्व-त्राता ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
हम अति दीन, दयामय!
चरण-शरण दीजै ।
सब विधि निर्मल मति,
कर अपना कर लीजै ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
श्री शिवजी की आरती (वर्णन २): ॐ जय गंगाधर जय हर ... | Shree Shivji ki Aarti (Version 2): Om jai gangadhar jai har ...
ॐ जय गंगाधर जय हर,
जय गिरिजाधीशा ।
त्वं मां पालय नित्यं,
कृपया जगदीशा ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
कैलासे गिरिशिखरे,
कल्पद्रुमविपिने ।
गुंजति मधुकरपुंजे,
कुंजवने गहने ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
कोकिलकूजित खेलत,
हंसावन ललिता ।
रचयति कलाकलापं,
नृत्यति मुदसहिता ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
तस्मिंल्ललितसुदेशे,
शाला मणिरचिता ।
तन्मध्ये हरनिकटे,
गौरी मुदसहिता ॥
क्रीडा रचयति,
भूषारंचित निजमीशम् ।
इंद्रादिक सुर सेवत,
नामयते शीशम् ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
बिबुधबधू बहु नृत्यत,
हृदये मुदसहिता ।
किन्नर गायन कुरुते,
सप्त स्वर सहिता ॥
धिनकत थै थै धिनकत,
मृदंग वादयते ।
क्वण क्वण ललिता वेणुं,
मधुरं नाटयते ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
रुण रुण चरणे रचयति,
नूपुरमुज्ज्वलिता ।
चक्रावर्ते भ्रमयति,
कुरुते तां धिक तां ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
तां तां लुप चुप,
तां तां डमरू वादयते।
अंगुष्ठांगुलिनादं,
लासकतां कुरुते ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
कपूर्रद्युतिगौरं,
पञ्चाननसहितम् ।
त्रिनयनशशिधरमौलिं,
विषधरकण्ठयुतम् ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
सुन्दरजटायकलापं,
पावकयुतभालम् ।
डमरुत्रिशूलपिनाकं,
करधृतनृकपालम् ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
मुण्डै रचयति माला,
पन्नगमुपवीतम् ।
वामविभागे गिरिजा,
रूपं अतिललितम् ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
सुन्दरसकलशरीरे,
कृतभस्माभरणम्।
इति वृषभध्वजरूपं,
तापत्रयहरणं ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
शंखनिनादं कृत्वा,
झल्लरि नादयते ।
नीराजयते ब्रह्मा,
वेदऋचां पठते ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
अतिमृदुचरणसरोजं,
हृत्कमले धृत्वा ।
अवलोकयति महेशं,
ईशं अभिनत्वा ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
ध्यानं आरति समये,
हृदये अति कृत्वा ।
रामस्त्रिजटानाथं,
ईशं अभिनत्वा ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
संगतिमेवं प्रतिदिन,
पठनं यः कुरुते ।
शिवसायुज्यं गच्छति,
भक्त्या यः श्रृणुते ॥
ॐ हर हर हर महादेव ॥
एक टिप्पणी भेजें